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(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि अज्ञेय
जैसे ही उसने पिंजरा खोला, बाघ उस आदमी पर झपट पड़ा। भूखे बाघ ने ब्राह्मण को खाने से पहले तीन सवाल पूछने का मौका दिया। ब्राह्मण ने एक सवाल पीपल के पेड़ से, एक भैंस से और आखिरी सवाल सड़क से पूछा। सभी उत्तरों से निराश होकर वह वापस जा रहा था। तभी उसकी मुलाकात एक सियार से हुई। जानिए कैसे चतुर सियार ने ब्राह्मण को भूखे बाघ से बचाने के लिए बाघ के सामने गूंगे और मूर्खों वाला काम किया।
यह किसी ऐसे फ़ेबल जैसी कहानी है जो हिंदी कहानी के इतिहास में हमेशा बनी रहेगी. इसे पढ़ते हुए आधुनिक-सभ्यता के उन पूर्व दार्शनिकों का कथन याद आता है : 'एवरीवन इज़ डिसीविंग दि अदर एंड एवरीवन इज़ डिसीव्ड बाय दि अदर.
असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ का ब्रेक ख़त्म करने पर हंगामा, हिमंत बिस्वा सरमा पर जेडीयू हमलावर
अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा
ऐसा कभी नहीं हुआ था... धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर हरिशंकर परसाई
Graphic: Courtesy Amazon It is a imagined-provoking novel composed by Kamleshwar, a renowned Indian creator. Initially printed in Hindi, the novel delves in to the intricate fabric of India’s social and political landscape in the course of the tumultuous duration of partition in 1947. Kamleshwar weaves a narrative that explores the impact of partition around the life of regular people and also the deep-rooted scars it still left around the country’s collective psyche.
उत्तर प्रदेश की नई डिजिटल नीति पर क्यों उठ रहे सवाल, क्या दूसरे राज्यों में भी है डिजिटल पॉलिसी
Lifestyle From ‘potential faking’ to ‘really like bombing’: Ways to recognise pink flags in interactions
जमींदार को उसकी समस्या से निजात दिलाने के लिए एक साधु मदद के लिए आये । उन्होंने उसे लगातार तीन महीने तक एक पवित्र मंत्र का जाप करने के लिए कहा। तीन महीने तक जप करने के बाद जमींदार को एक जिन्न मिला गया। जिन्न ने बताया की उसे लगातार कुछ न कुछ करते रहना पड़ता है। अगर मालिक एक काम के खत्म होने के तुरंत बाद उसे दूसरा काम देने में विफल रहता है तो जिन्न उसे छोड़ देगा। लेकिन दूसरी तरफ अगर जिन्न ने कोई गलती की तो वह हमेशा के लिए जमींदार और उसकी पत्नी के साथ रहेगा। जमींदार बहुत खुश हुआ। जमींदार जो भी काम देता, जिन्न उसे मिनटों में ख़त्म कर लेता। पर एक दिन जमींदार की पत्नी ने जिन्न को ऐसा काम दे दिया जिसमे जिन्न से गलती हो ही गयी।
माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन
The poet employs a novel combination of philosophical insights, vivid imagery, and rhythmic verses to create a perform that resonates with viewers, making this a timeless and celebrated piece of Hindi literature. The poem has obtained popular acclaim for its depth, common themes, and also the lyrical natural beauty of its verses, setting up Harivansh Rai Bachchan as One of the more influential poets in Indian literature.
वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद
सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों more info घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चीटें-चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी हैं। वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी अमरकांत